
अमेरिका ने ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को Foreign Terrorist Organization घोषित कर दिया है।
पहलगाम हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत के बाद ये कदम उठाया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने खुद इस बात की पुष्टि की कि TRF, लश्कर-ए-तैयबा का ही एक “नकाबपोश फ्रंट” है – और नकाब अब उतर चुका है।
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पहलगाम हमला बना निर्णायक बिंदु
22 अप्रैल 2024 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ हमला सिर्फ एक और आतंकी वारदात नहीं थी।
26 नागरिकों की जान जाने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने TRF के खिलाफ निर्णायक रुख अपनाया और कहा:
“ये हमला 2008 के मुंबई हमलों के बाद भारत पर सबसे घातक हमला था।”
TRF = LET का नया नाम?
भारत पहले ही TRF को लश्कर-ए-तैयबा का प्रॉक्सी मानता रहा है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने मई में प्रेस ब्रीफिंग में साफ कहा था कि TRF नाम की ये “नई पैकेजिंग” दरअसल पुराना ज़हर है। UN द्वारा बैन किया गया LET, अब TRF की आड़ में वार कर रहा है। मगर अमेरिका ने अब इस “मुखौटे” को भी बैनलिस्ट में डाल दिया है।
भारत का स्वागत – जयशंकर बोले: सॉलिड स्टेप, मार्को!
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अमेरिका के इस कदम का खुले दिल से स्वागत किया और कहा:
“यह भारत-अमेरिका के आतंकवाद के खिलाफ मजबूत सहयोग का प्रमाण है।”
(कृपया इस स्टेटमेंट के बाद भारत-अमेरिका रिश्तों की तारीफ करने वाला एक काव्यात्मक मीम सोचें!)
जब आतंकवाद भी ‘ब्रांडिंग’ करने लगा
पहले लश्कर था, फिर बना TRF, अब अगला क्या?
“Terror & Co. – अब बम के साथ आता है नारा भी!”
TRF सोच रहा होगा:
“इतना पैसा ग्राफिक डिज़ाइन में लगाया… और अमेरिका ने सब बेनकाब कर दिया!”
अमेरिका: “हमने आतंकी घोषित किया।”
पाकिस्तान: “Who? What? Where? Never heard of it!”
जब दुनिया बोले – Enough is Enough!
TRF को आतंकी घोषित करना सिर्फ एक कदम नहीं, एक संदेश है – नया नाम, नया लोगो, नया बयान… आतंकवाद वही पुराना ही रहता है। अब समय है कि बाकी देश भी इस ब्रांडेड आतंकवाद को डिस्काउंट नहीं, बैन करें।
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